इस अँधेरे में न इक गाम भी रुकना यारो By Sher << बहर-ए-हस्ती से कूच है दरप... जो जी चाहे है देखूँ माह-ए... >> इस अँधेरे में न इक गाम भी रुकना यारो अब तो इक दूसरे की आहटें काम आएँगी Share on: