बहार-ए-हुस्न ये दो दिन की चाँदनी है हुज़ूर By Sher << कहते थे तुझी को जान अपनी मैं जिस रफ़्तार से तूफ़ाँ... >> बहार-ए-हुस्न ये दो दिन की चाँदनी है हुज़ूर जो बात अब की बरस है वो पार साल नहीं Share on: