बहुत लम्बी मसाफ़त है बदन की By Sher << मैं दिन को शब से भला क्यू... नहीं वो इतना भी पागल नहीं... >> बहुत लम्बी मसाफ़त है बदन की मुसाफ़िर मुब्तदी थकने लगा है Share on: