बहुत मुज़िर दिल-ए-आशिक़ को आह होती है By Sher << तेरे किरदार को इतना तो शर... रात आँगन में चाँद उतरा था >> बहुत मुज़िर दिल-ए-आशिक़ को आह होती है इसी हवा से ये कश्ती तबाह होती है Share on: