बैठा हुआ हूँ लग के दरीचे से महव-ए-यास By Sher << हर एक सम्त तिरी याद का धु... किस ने आबाद किया है मरी व... >> बैठा हुआ हूँ लग के दरीचे से महव-ए-यास ये शाम आज मेरे बराबर उदास है Share on: