हर एक सम्त तिरी याद का धुँदलका है By Sher << किसी परिंद की चीख़ों ने स... बैठा हुआ हूँ लग के दरीचे ... >> हर एक सम्त तिरी याद का धुँदलका है तिरे ख़याल का सूरज उतर गया मुझ में Share on: