बैठे जो उस गली में न मर कर भी उट्ठे हम By Sher << ब-क़ैद-ए-वक़्त पढ़ी मैं न... बहुत दिनों से हूँ आमद का ... >> बैठे जो उस गली में न मर कर भी उट्ठे हम इक ढेर गिर के हो गए दीवार की तरह Share on: