बहुत दिनों से हूँ आमद का अपनी चश्म-ब-राह By Sher << बैठे जो उस गली में न मर क... अश्क-ए-हसरत है आज तूफ़ाँ-... >> बहुत दिनों से हूँ आमद का अपनी चश्म-ब-राह तुम्हारा ले गया ऐ यार इंतिज़ार कहाँ Share on: