बैठे थे जब तो सारे परिंदे थे साथ साथ By Sher << ये कौन सी जगह है ये बस्ती... मुझ पे आसाँ है कहे लफ़्ज़... >> बैठे थे जब तो सारे परिंदे थे साथ साथ उड़ते ही शाख़ से कई सम्तों में बट गए Share on: