बना लेता है मौज-ए-ख़ून-ए-दिल से इक चमन अपना By Sher << मेरी तारीक शबों में है उज... इस ज़िंदगी ने साथ किसी का... >> बना लेता है मौज-ए-ख़ून-ए-दिल से इक चमन अपना वो पाबंद-ए-क़फ़स जो फ़ितरतन आज़ाद होता है Share on: