मेरी तारीक शबों में है उजाला इन से By Sher << अब भी बरसात की रातों में ... बना लेता है मौज-ए-ख़ून-ए-... >> मेरी तारीक शबों में है उजाला इन से चाँद से ज़ख़्मों पे मरहम ये लगाते क्यूँ हो Share on: