बंदे के क़लम हाथ में होता तो ग़ज़ब था By Sher << हुस्न की बे-रुख़ी को अहल-... तू कहाँ रहती है पूछा था क... >> बंदे के क़लम हाथ में होता तो ग़ज़ब था सद शुक्र कि है कातिब-ए-तक़दीर कोई और Share on: