हुस्न की बे-रुख़ी को अहल-ए-नज़र By Sher << दरवाज़ा कोई घर से निकलने ... बंदे के क़लम हाथ में होता... >> हुस्न की बे-रुख़ी को अहल-ए-नज़र हासिल-ए-इल्तिफ़ात कहते हैं Share on: