बनना था तो बनता न फ़रिश्ता न ख़ुदा मैं By Sher << अपने सूखे हुए गुल-दान का ... मुझ को मिरे वजूद से कोई न... >> बनना था तो बनता न फ़रिश्ता न ख़ुदा मैं इंसान ही बनता मिरी तकमील तो ये थी Share on: