मुझ को मिरे वजूद से कोई निकाल दे By Sher << बनना था तो बनता न फ़रिश्त... अफ़सोस माबदों में ख़ुदा ब... >> मुझ को मिरे वजूद से कोई निकाल दे तंग आ चुका हूँ रोज़ के इन हादसों से मैं Share on: