बर्फ़-मंज़र धूल के बादल हवा के क़हक़हे By Sher << रौशन-दान से धूप का टुकड़ा... सुन नसीहत मिरी ऐ ज़ाहिद-ए... >> बर्फ़-मंज़र धूल के बादल हवा के क़हक़हे जो कभी दहलीज़ के बाहर थे वो अंदर भी थे Share on: