बरहना देख कर आशिक़ में जान-ए-ताज़ा आती है By Sher << आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल ... ख़ुद मिरे आँसू चमक रखते ह... >> बरहना देख कर आशिक़ में जान-ए-ताज़ा आती है सरापा रूह का आलम है तेरे जिस्म-ए-उर्यां में Share on: