ख़ुद मिरे आँसू चमक रखते हैं गौहर की तरह By Sher << बरहना देख कर आशिक़ में जा... ख़ुदा जाने 'असर' ... >> ख़ुद मिरे आँसू चमक रखते हैं गौहर की तरह मेरी चश्म-ए-आरज़ू में माह-ओ-अख़तर कुछ नहीं Share on: