बस एक रात ठहरना है क्या गिला कीजे By Sher << भीगी हुई इक शाम की दहलीज़... अभी अरमान कुछ बाक़ी हैं द... >> बस एक रात ठहरना है क्या गिला कीजे मुसाफ़िरों को ग़नीमत है ये सराए बहुत Share on: