बस्तियाँ ही बस्तियाँ हैं गुम्बद-ए-अफ़्लाक में By Sher << बे-गिनती बोसे लेंगे रुख़-... बरहमन खोले हीगा बुत-कदा क... >> बस्तियाँ ही बस्तियाँ हैं गुम्बद-ए-अफ़्लाक में सैकड़ों फ़रसंग मजनूँ से बयाबाँ रह गया Share on: