बे-कैफ़ कट रही थी मुसलसल ये ज़िंदगी By Sher << आँसुओं से लिख रहे हैं बेब... अब वो बातें न वो रातें न ... >> बे-कैफ़ कट रही थी मुसलसल ये ज़िंदगी फिर ख़्वाब में वो ख़्वाब सा पैकर मिला मुझे Share on: