भर जाएँगे जब ज़ख़्म तो आऊँगा दोबारा By Sher << हर सुब्ह निकलना किसी दीवा... आँखें हैं और धूल भरा सन्न... >> भर जाएँगे जब ज़ख़्म तो आऊँगा दोबारा मैं हार गया जंग मगर दिल नहीं हारा Share on: