बिखरे हुए हैं दिल में मिरी ख़्वाहिशों के रंग By Sher << आलाम-ए-रोज़गार को आसाँ बन... जिस्म पाबंद-ए-गुल सही ... >> बिखरे हुए हैं दिल में मिरी ख़्वाहिशों के रंग अब मैं भी इक सजा हुआ बाज़ार हो गया Share on: