जिस्म पाबंद-ए-गुल सही 'आबिद' By Sher << बिखरे हुए हैं दिल में मिर... अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम... >> जिस्म पाबंद-ए-गुल सही 'आबिद' दिल मगर वहशतों की बस्ती है Share on: