हम भी हैं 'बिल्क़ीस' मजरूहीन में By Sher << जश्न-ए-बहार-ए-नौ है नशेमन... अब ये भी नहीं ठीक कि हर द... >> हम भी हैं 'बिल्क़ीस' मजरूहीन में हम पे भी तीर ओ तबर चलते रहे Share on: