बिस्तर-ए-ख़ाक पे बैठा हूँ न मस्ती है न होश By Sher << क़लम उठाऊँ कि बच्चों की ज... आ के सलासिल ऐ जुनूँ क्यूँ... >> बिस्तर-ए-ख़ाक पे बैठा हूँ न मस्ती है न होश ज़र्रे सब साकित-ओ-सामित हैं सितारे ख़ामोश Share on: