बोली लगी मता-ए-हुनर की तो अहल-ए-फ़न By Sher << तेरी फ़य्याज़ी के थे चर्च... महफ़िल में उन की खुल गया ... >> बोली लगी मता-ए-हुनर की तो अहल-ए-फ़न जल्दी में अपने ख़्वाब भी नीलाम कर गए Share on: