बुझी हुई हैं निगाहें ग़ुबार है कि धुआँ By Sher << दिल के वीराने में घूमे तो... बोलते हैं दिलों के सन्नाट... >> बुझी हुई हैं निगाहें ग़ुबार है कि धुआँ वो रास्ता है कि अपना भी नक़्श-ए-पा न मिले Share on: