बुझीं शमएँ तो दिल जलाए हैं By Sher << हाथ का बाज़ू का गर्दन का ... और 'फ़राज़' चाहिए... >> बुझीं शमएँ तो दिल जलाए हैं यूँ अंधेरों में रौशनी की है Share on: