चाह का दावा सब करते हैं मानें क्यूँकर बे-आसार By Sher << टेंशन से मरेगा न क्रोने स... उफ़ वो मासूम ओ हया-रेज़ न... >> चाह का दावा सब करते हैं मानें क्यूँकर बे-आसार अश्क की सुर्ख़ी मुँह की ज़र्दी इश्क़ की कुछ तो अलामत हो Share on: