चाहूँ कि हाल-ए-वहशत-ए-दिल कुछ रक़म करूँ By Sher << होती है शाम आँख से आँसू र... अजीब चीज़ है ये वक़्त जिस... >> चाहूँ कि हाल-ए-वहशत-ए-दिल कुछ रक़म करूँ भागें हुरूफ़ वक़्त-ए-निगारिश क़लम से दूर Share on: