चमन को आग लगावे है बाग़बाँ हर रोज़ By Sher << घर हमेशा तिरे आईने का आबा... तूफ़ान-ए-नूह लाने से ऐ चश... >> चमन को आग लगावे है बाग़बाँ हर रोज़ नया बनाऊँ हूँ मैं अपना आशियाँ हर रोज़ Share on: