घर हमेशा तिरे आईने का आबाद रहे By Sher << सय्याद के जिगर में करे था... चमन को आग लगावे है बाग़बा... >> घर हमेशा तिरे आईने का आबाद रहे जिस में जलता है चराग़-ए-रुख़-ए-रौशन तेरा Share on: