चमन में शब को घिरा अब्र-ए-नौ-बहार रहा By Sher << मुट्ठी से जिस तरह कोई जुग... हर इक दाग़-ए-तमन्ना को कल... >> चमन में शब को घिरा अब्र-ए-नौ-बहार रहा हुज़ूर आप का क्या क्या न इंतिज़ार रहा Share on: