चमन-ज़ार-ए-मोहब्ब्बत में ख़मोशी मौत है बुलबुल By Sher << मैं ने हर गाम उसे अव्वल ओ... नज़र झुक रही है ख़मोशी है... >> चमन-ज़ार-ए-मोहब्ब्बत में ख़मोशी मौत है बुलबुल यहाँ की ज़िंदगी पाबंदी-ए-रस्म-ए-फ़ुग़ाँ तक है Share on: