चराग़ों के बदले मकाँ जल रहे हैं By Sher << रक़ीबान-ए-सियह-रू शहर-ए-द... किया तबाह तो दिल्ली ने भी... >> चराग़ों के बदले मकाँ जल रहे हैं नया है ज़माना नई रौशनी है Share on: