रक़ीबान-ए-सियह-रू शहर-ए-देहली के मुसाहिब हैं By Sher << वक़्त के क़द्र-दाँ की नज़... चराग़ों के बदले मकाँ जल र... >> रक़ीबान-ए-सियह-रू शहर-ए-देहली के मुसाहिब हैं गंदा नाला भी जा कर मिल रहा है देख जमुना कूँ Share on: