चेहरों पे ज़र-पोश अंधेरे फैले हैं By Sher << इस से बढ़ कर तिरी यादों क... आता है जो तूफ़ाँ आने दे क... >> चेहरों पे ज़र-पोश अंधेरे फैले हैं अब जीने के ढंग बड़े ही महँगे हैं Share on: