छेड़ माशूक़ से कीजे तो ज़रा थम थम कर By Sher << चुप-चाप सुनती रहती है पहर... चाह की चितवन में आँख उस क... >> छेड़ माशूक़ से कीजे तो ज़रा थम थम कर रोज़ के नामा ओ पैग़ाम बुरे होते हैं Share on: