चुप-चाप सुनती रहती है पहरों शब-ए-फ़िराक़ By Sher << दाग़ इक आदमी है गर्मा-गर्... छेड़ माशूक़ से कीजे तो ज़... >> चुप-चाप सुनती रहती है पहरों शब-ए-फ़िराक़ तस्वीर-ए-यार को है मिरी गुफ़्तुगू पसंद Share on: