छुप छुप के कहाँ तक तिरे दीदार मिलेंगे By Sher << वो चार चाँद फ़लक को लगा च... न ये है न वो है न मैं हूँ... >> छुप छुप के कहाँ तक तिरे दीदार मिलेंगे ऐ पर्दा-नशीं अब सर-ए-बाज़ार मिलेंगे Share on: