छुप सका दम भर न राज़-ए-दिल फ़िराक़-ए-यार में By Sher << कल बज़्म में सब पर निगह-ए... ये क्या कि बैठा है दरिया ... >> छुप सका दम भर न राज़-ए-दिल फ़िराक़-ए-यार में वो निहाँ जिस दम हुआ सब आश्कारा हो गया Share on: