कल बज़्म में सब पर निगह-ए-लुतफ़-ओ-करम थी By Sher << मुक़ीम-ए-दिल हैं वो अरमान... छुप सका दम भर न राज़-ए-दि... >> कल बज़्म में सब पर निगह-ए-लुतफ़-ओ-करम थी इक मेरी तरफ़ तू ने सितमगार न देखा Share on: