छुपा हूँ मैं सदा-ए-बाँसुली में By Sher << हिन्दू ओ मुस्लिमीन हैं हि... तुम ने कैसा ये राब्ता रक्... >> छुपा हूँ मैं सदा-ए-बाँसुली में कि ता जानूँ परी-रू की गली में Share on: