छुपे हैं लाख हक़ के मरहले गुम-नाम होंटों पर By Sher << उतारा दिल के वरक़ पर तो क... रवाँ थी कोई तलब सी लहू के... >> छुपे हैं लाख हक़ के मरहले गुम-नाम होंटों पर उसी की बात चल जाती है जिस का नाम चलता है Share on: