चूँ शम-ए-सोज़ाँ चूँ ज़र्रा हैराँ ज़े मेहर-ए-आँ-मह बगश्तम आख़िर By Sher << आबरू शर्त है इंसाँ के लिए... दम-ब-दम मुझ पे चला कर तलव... >> चूँ शम-ए-सोज़ाँ चूँ ज़र्रा हैराँ ज़े मेहर-ए-आँ-मह बगश्तम आख़िर न नींद नैनाँ न अंग चैनाँ न आप आवे न भेजे पतियाँ Share on: