चुप रहो क्यूँ मिज़ाज पूछते हो By Sher << सुबू उठा कि ये नाज़ुक मक़... उट्ठा जो अब्र दिल की उमंग... >> चुप रहो क्यूँ मिज़ाज पूछते हो हम जिएँ या मरें तुम्हें क्या है Share on: