क़फ़स की तीलियों में जाने क्या तरकीब रक्खी है By Sher << ख़ाली न अंदलीब का सोज़-ए-... ख़मोशी बस ख़मोशी थी इजाज़... >> क़फ़स की तीलियों में जाने क्या तरकीब रक्खी है कि हर बिजली क़रीब-ए-आशियाँ मालूम होती है Share on: