क्यूँकर न आस्तीं में छुपा कर पढ़ें नमाज़ By Sher << ये अजीब माजरा है कि ब-रोज... सब का ख़ुशी से फ़ासला एक ... >> क्यूँकर न आस्तीं में छुपा कर पढ़ें नमाज़ हक़ तो है ये अज़ीज़ हैं बुत ही ख़ुदा के बा'द Share on: