ये अजीब माजरा है कि ब-रोज़-ए-ईद-ए-क़ुर्बां By Sher << भरपूर नहीं हैं किसी चेहरे... क्यूँकर न आस्तीं में छुपा... >> ये अजीब माजरा है कि ब-रोज़-ए-ईद-ए-क़ुर्बां वही ज़ब्ह भी करे है वही ले सवाब उल्टा Share on: